Submitted by ranjanaoli on Tue, 2012-03-06 05:00
ऐसा समे जान आए बुधजी, कर कोट सूर समसेर ।
सुनते सोर सबद बाननका, होए गए सब जेर।।१
ऐसा समय जानकर बुद्धजी प्रकट हो गए हैं. उनके हाथमें करोड.ों सूर्योंके समान तेजस्वी (अखण्ड ज्ञाानकी) तलवार है. उनके मुखसे निःसृत शब्द वाणोंकी ध्वनीसे भयभीत होकर सभी अत्यचारी पराजित हो गए हैं.
The time of the intelligence has arrive,whose hand carries the sword of light of innumerable (zillions) of sun. The commotion of his words have scared off the mighty bullies and defeated them.
काटे विकार सब असुरों के, उडायो हिरदे को अंधेर ।
Submitted by Anonymous on Mon, 2012-02-27 18:37
धाम श्याम श्यामाजी संग प्यारी, ब्रह्मानन्द लीला निज न्यारी ॥१
सात घात जमुना जल राजे, झिलत जुगल किशोर विराजे ॥२
सघन कुन्ज मध्य चातक बोले, क्रीडत लाल लाडिली डोले ॥३
ताल पाल मध्य मोहोल सुहाये, खेलन प्यारो प्यारी आये ॥ ४
नित्य विहार स्वरूप पर, भई श्री महामति कुरवान निरखि छवि ॥५
Submitted by ranjanaoli on Sun, 2012-02-26 16:19
असतो मा सद्गमय ।
तमसो मा ज्योतिर्गमय ।।
मृत्योर्मामृतं गमय ।
ॐ शांति: शांति: शांति:
Asato maa sad-gamaya
Tamaso maa jyotir-gamaya
Mṛityor-maa-mṛitan gamaya
Om shaantiḥ shaantiḥ shaantiḥ
Lead us from Untruth to Truth, from Darkness to Light, from Death to Immortality. Om peace, peace, peace
Submitted by Anonymous on Sun, 2012-02-26 14:44
परम सुभग आनन्द गुण गाइये।
नवल किशोर निरखि सुख पाइये॥१
धाम श्याम जीय मंगलकारी ।
संग श्यामाजी दुलहिन पिया प्यारी ॥२
कुञ्ज निकुञ्ज मध्य क्रिडत कोहैं ।
ललित मनोहर सुन्दर सोहैं ॥३
करत केल यमुना तट नेरे ।
परम विचित्र जियावर मेरे ॥४
निज है स्वरूप रूप पिया राजे ।
महामति मदन कोटी छवि लाजे ॥५
Submitted by Anonymous on Mon, 2012-02-20 21:01
कृष्णपक्षमा श्री राजश्यमाजीको सवारी हुने स्थानहरुको नाम यसप्रकार छन।
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१) परेवा ---- पाट घाट
२)द्वितिया ----बटका पूल
... ३)तृतिया ---- कुञ्जवन
४) चौथी ---- फुलबाग
५)पञ्चमी ---- पश्चिमकि चौगान
६)षष्टी ---- लाल चबुतरा
७)सप्तमी ----- वडावन
८)अष्टमी ---- मधुवन - महावन
९)नवमी ---- पुखराजजीको तरहटी
१०)दशमी ---- पुखराजकी चाँदनी
११)एकादशी ----पुखराजजी ताल
१२)द्वादशी ---- बंगलाजी
१३)त्रयोदशी ----अधबिचका कुण्ड
Submitted by Anonymous on Fri, 2012-02-17 15:49
धामधनी श्री कृष्ण हमारे, परम निधान परम रूप प्यारे ॥१
महाराजा मंगल रूप राजे, श्याम श्यामाजी दोउ अनूप बिराजे ॥ २
पूरण अक्षर पदसे न्यारे , सोई जियावर धनीजी हमारे ॥३
प्रगटे पिया निज अद्भुत सोई , उपमा पार पावे नहीं कोई ॥४
परमानन्द जोड़ी सुखकारी , अंगना पिया पर वारी वारी ॥ ५
Submitted by ranjanaoli on Tue, 2012-02-07 14:50
kaliyug is over!
सास्त्रें आवरदा कही कलिजुग की, चार लाख बतीस हजार ।
काटे दिन पापें लिख्या मांहें सास्त्रों, सो पाइए अर्थ अंदर के विचार ।।१
शास्त्रोंमें कलियुगकी आयु चार लाख बत्तीस हजार वर्ष मानी गई है. यह भी बताया है कि आयुकी मर्यादा पाप बढ.नेके कारण घट जाएगी. अन्तर्दृष्टिसे विचार करने पर उसका रहस्य समझमें आ जाएगा.
सोले सै लगे रे साका सालिबाहनका, संवत सत्रह सै पैंतीस ।
बैठा ने साका विजिया अभिनन्दका, यों कहे सास्त्र और जोतीस ।।१८
Submitted by ranjanaoli on Mon, 2012-02-06 16:12
दियो जोस खोले दरबार, देखाया सुंन के पार के पार ।
ब्रह्मसृष्टि मिने सुन्दरबाई, ताको धनीजीएं दई बडाई।।
सब सैयों मिने सिरदार, अंग याही के हम सब नार।
श्री धामधनीजी की अरधंग, सब मिल एक सरूप एक अंग ।।
श्रीकृष्णजीने अपना जोश देकर परमधामके द्वार खोल दिए और शून्य निराकारसे परे अक्षर और उससे भी परे परमधामको अपना घर बताया. इस प्रकार ब्रह्मसृष्टियोंमें सुन्दरबाईको धामधनीने बहुत बड.ा महत्त्व दिया. श्रीश्यामाजीके अवतार स्वरूप होनेसे वे सब ब्रह्मात्माओंकी शिरोमणि (सिरदार) हैं. हम सभी आत्माएँ उनकी ही अङ्गस्वरूपा हैं. श्रीश्यामाजी धामधनीजीकी अर्धांगिनी हैं. पूर्णब्रह्म परमात्मा, श्यामाजी एवं समस्त ब्रह्मात्माएँ सब मिलकर एक ही स्वरूप और एक ही अङ्ग हैं.
He also gave the inspiration and opened the doors of the supreme and showed the vacuum, space, the perishable universe, imperishable universe and the beyond. Amongst all the divine soul. Lord has appreciated Sundarbai greatly and she is our leader as Shyama who is the consort of Lord and of whom we are the parts also is united with Sundarbai’s dream body. Although Shri Krishna, Shyamaji and brahma shriti are separately mentioned but all are united and are one.
Submitted by Anonymous on Sun, 2012-02-05 20:45
पूरण ब्रह्म सच्चिदानन्द रूप, संग श्यामाजी सोहे अनूप ॥१
चारो चरण सुन्दर सुखदाई, भूषण की शोभा मुख वरनी न जाई ॥२
झांझरी घुंघरी कांबी कडला अलेखे, अनवट विछुवा श्री श्यामाजी विशेषे ॥३
नीलो है चरणिया केशरी इजार, स्वेत दावन झांइ करे झलकार ॥४
चोली श्याम जडाव साडी सेंदुरिया रंग राजे, हैयडे पर हार शोभा अधिक विराजे ॥५
जरी जामा स्वेत जडाव अंग सोहे, नीलो पीलो पटुका देखत मन मोहे ॥६
जामा पर चादर रंग आशमानी ,छेडले किनार वेली जाय न वखानी ॥७
जरी पाग सेंदुरिया जगमग जोत, राखडी कलंगी कही जाये न उद्योत ॥८
Submitted by Anonymous on Sun, 2012-02-05 19:55
जुगल स्वरूप रूप छबि छाजे । सिंहासन के ऊपर बिराजे ॥१
नाचत देत फेर आवत फेरी । हँसी हँसी लालन मुख तन हेरी॥२
गावत गीत बजावत बाजे । जमुना तट बंशी धुन गाजे ॥३
फूले फूल फूल लई आवें । गुही गुही हार पियाको पहिरावें ॥४
देत परिक्रम कर्म सब छूटे । यह सुख पंचम निशदिन लूटे ॥५
... ...
सिंहासनमा बिराजमान हुनुभएको श्री राजजी महाराज र श्यामाजी महारानीको स्वरुप अत्यन्त शोभायमान भैरहेको छ ।
श्री राजजी महाराजको हसिलो मुखमण्डल लाई हेरेर सखीहरु हर्सको साथमा नृत्य गर्दछन।
यमुनाको किनारमा बंशीको धुन गुन्जिरहेको बेलामा बाजा बजाउदै सुमधुर गीतहरु गाउछन।
Submitted by ranjanaoli on Wed, 2012-02-01 14:36
देखाई राह तौरेत कुरान, कुफर सबोंका दिया भान ।
ल्याया नहीं जो यकीन, सो जल दोजख आए मिने दीन ।।८
उन्होंने तौरात और कुरानका मार्ग प्रशस्त करते हुए कलश और सनन्ध ग्रन्थके द्वारा उपदेश दिया और सभीके हृदयकी भ्रान्तिको मिटा दिया. जिन्होंने उन पर विश्वास नहीं किया वे नरककी अग्निमें जलकर शुद्ध होकर सत्यधर्ममें प्रविष्ट हुए.
प्रकरण २ श्री कयामतनामा (बडा)
Lord has directed the path of living through Toret(Torah) Kalash and Quran- Sanandh and has given the right consciousness to all. Those who do not believe they will suffer the fire of hell.
Submitted by Anonymous on Mon, 2012-01-30 17:03
सुख को निधान जये जये , मंगल आरती सुखको निधान
ऊठी बैठे सुख सेज्या श्री राज, सँग अर्धाङ्ग अलि लिये लाज ॥१॥
रैनि जगे रगमग दौ नैना, बोलत बोल मधुर मुख बैन,
निरखी निरखी हरखे ब्रह्म सृष्टि, जुगल पियजीसों जोडे दोउ दृष्टि ॥२॥
ऊठी बैठे सेज्या सुखदाई, आरती साजि श्री इन्द्रावती ल्याई
आरती वारती सखियाँ सर्वांग, लेत वारणे निज नवरंग ॥३॥
Submitted by Anonymous on Tue, 2012-01-24 20:51
रैनिको उनीदी श्यामा पीउ पासे आइयाँ, प्रीतम पासे आइयाँ ।
नैन अरुण सोहें राते रंग भीने, पीउ प्यारी मंद मंद मुस्काइयाँ ॥१
अतलस गेंदुवा सेत निहाली, जाडो लगे पिया शाल ओढाइयाँ ।
लटपटी पाग छुटे बन्ध सोहे, रंग सेज्या दोउ लाल सोहाइयाँ॥२
अंगसों अंग जोडे दोऊ मन भइया, अरस परस कर कन्ठ लपटाइयाँ ।
महारंग रस भीने रसिक जुगल पिय, निरखि निरखि सखियां सुख पाइयाँ ॥३
चन्दन कि चौकी डरौं बैठो प्यारे अंगना, लवन्ग की दातून जल भरी ल्याइयाँ।
श्री इन्द्रावती पति रूप जुगल धनी, निज नवरंग निरखि बलि जाइयाँ ॥४
Submitted by Anonymous on Wed, 2012-01-18 21:06
http://www.paramdham.info/?q=node/154
आवोजी बाला
आवोजी बाला मारे घेर आवोजी बाला,
एकलडी परदेशमां मुने, मूकीने कां चाल्या ॥१
मुने हुति नींदलडी, तमे सुती मूकीने कां राते ।
जागीने जोऊ तां पियुजी ना पासे, पछीतो थासे प्रभाते ॥२
कलकलीने कहुं छुं तमने, आवोजो आणे क्षणे ।
मारा मनना मनोरथ पूरन करजो, इन्द्रावती लागी चरणे ॥ ३
Submitted by ranjanaoli on Wed, 2012-01-18 20:23
ये महलों, ये तख्तो, ये ताजों की दुनियाँ
ये इंसान के दुश्मन समाजों की दुनियाँ
ये दौलत के भूखे रवाजों की दुनियाँ
ये दुनियाँ अगर मिल भी जाए तो क्या है
हर एक जिस्म घायल, हर एक रूह प्यासी
निगाहों में उलझन, दिलों में उदासी
ये दुनियाँ हैं या आलम-ए-बदहवासी
ये दुनियाँ अगर मिल भी जाए तो क्या है
जहा एक खिलौना है, इंसान की हस्ती
ये बसती हैं मुर्दा परस्तों की बस्ती
यहाँ पर तो जीवन से मौत सस्ती
ये दुनियाँ अगर मिल भी जाए तो क्या है
जवानी भटकती हैं बदकार बनकर
जवां जिस्म सजते हैं बाजार बनकर
यहाँ प्यार होता हैं व्यापार बनकर
ये दुनियाँ अगर मिल भी जाए तो क्या है
ये दुनियाँ जहा आदमी कुछ नहीं है
वफ़ा कुछ नहीं, दोस्ती कुछ नहीं है
यहाँ प्यार की कद्र ही कुछ नहीं है
ये दुनियाँ अगर मिल भी जाए तो क्या है
जला दो इसे, फूंक डालो ये दुनियाँ
मेरे सामने से हटा लो ये दुनियाँ
तुम्हारी हैं तुम ही संभालो ये दुनियाँ
ये दुनियाँ अगर मिल भी जाए तो क्या है
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